शिमला के रिज मैदान में उमड़ी टूरिस्ट की भीड़। मनाली से 4 किलोमीटर दूर नेहरू कुंड के पास लगा जाम। ये वाहन अटल टनल और रोहतांग पास की तरफ जा रहे हैं।

देश के मैदानी इलाकों में भीषण गर्मी से बचने के लिए टूरिस्ट पहाड़ों का रुख कर रहे हैं। हिल स्टेशन के हिसाब से देखें तो हिमाचल प्रदेश टूरिस्ट की फर्स्ट चॉइस बना हुआ है।

हालात ऐसे हैं कि होटलों में 70 से 80 फीसदी ऑक्यूपेंसी हो गई है। सैटरडे-संडे को ऑक्यूपेंसी 80 से 90 फीसदी होने की संभावना है।

ऐसे में यदि आपने भी हिमाचल घूमने का प्लान बनाया है, तो पूरा फीडबैक लेकर ही अपना टूर शुरू करें। क्योंकि पीक सीजन होने की वजह से हिमाचल के कई शहरों में ट्रैफिक जाम टूरिस्ट को परेशान कर रहा है। होटलों में ऑक्यूपेंसी ज्यादा होने की वजह से बुकिंग रेट भी आपकी जेब ढीली कर सकते हैं।

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1. शिमला : दुनियाभर में मशहूर टूरिस्ट प्लेस है शिमला। शिमला के होटलों में शनिवार को 80 से 85 प्रतिशत तक ऑक्यूपेंसी रही। संडे को इसके 90 प्रतिशत तक पहुंचने के आसार हैं। होटल और धर्मशालाओं में कमरों के रेट 2000 से लेकर 10000 तक हैं।

  • कैसे पहुंचें शिमला : टूरिस्ट कालका-शिमला नेशनल हाईवे-5 से शिमला पहुंच सकते हैं। कालका से शिमला की दूरी लगभग 86 किलोमीटर है। निजी वाहन से कालका से शिमला के लिए ढाई से तीन घंटे में पहुंचा जा सकता है।
  • ट्रैफिक जाम कर रहा परेशान : शिमला में रविवार को ट्रैफिक जाम परेशान कर सकता है। खासकर शोघी से विक्ट्री टनल और लिफ्ट के बीच ज्यादा जाम लग रहा है। यहां सुबह 9 से 10.30 बजे और शाम 5 से 8 बजे के बीच ज्यादा जाम लगता है। ऐसे में टूरिस्ट सुबह 9 से पहले या रात 8 बजे के बाद आकर ट्रैफिक जाम से छुटकारा पा सकते हैं।

2. कसौली : हिमाचल के होटलों में सबसे ज्यादा ऑक्यूपेंसी सोलन के कसौली में ही रहती है। क्योंकि, यह चंडीगढ़ के बिल्कुल नजदीक है। इस वजह से टूरिस्ट यदि शाम चार-पांच बजे भी चंडीगढ़ से चलता है तो भी वह आसानी से शाम छह-सात बजे तक कसौली पहुंच जाता है। यहां 1000 से लेकर 7500 रुपए तक किराए वाले कमरे होटलों में उपलब्ध हैं। मगर, यहां होटल्स में 80 से 90 फीसदी तक ऑक्यूपेंसी है।

  • कैसे पहुंचें कसौली: कसौली के लिए एनएच-5 यानी कालका-शिमला हाईवे से पहुंचा जा सकता है। कालका से धर्मपुर तक फोरलेन बना हुआ है। धर्मपुर से गड़खल सड़क पर 20 से 25 मिनट का सफर कर कसौली पहुंचा जा सकता है।
  • दोपहर दो बजे के बाद ट्रैफिक जाम : गड़खल कस्बे में दोपहर दो बजे के बाद ट्रैफिक जाम टूरिस्ट को परेशान कर रहा है। ऐसे में ट्रैफिक जाम से बचने के लिए टूरिस्ट दो बजे से पहले या फिर रात में 8 बजे के बाद कसौली पहुंचकर ट्रैफिक जाम से बच सकते हैं।

3. मनाली : मनाली विश्व विख्यात पर्यटन स्थल है। यहां के होटलों में शनिवार को 75 से 80 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी हो गई। संडे तक यहां 90 प्रतिशत तक ऑक्यूपेंसी होने की उम्मीद है। यहां के होटलों में 1000 से 10 हजार रुपए में कमरे उपलब्ध हैं।

  • कैसे पहुंचें मनाली : मनाली के टूरिस्ट कीरतपुर-मनाली फोरलेन से पहुंच सकते हैं। चंडीगढ़ से मनाली की दूरी लगभग 177 किलोमीटर है। इस सफर में चार से पांच घंटे लग जाते हैं। वीकेंड पर मनाली में ट्रैफिक जाम होता है।
  • ट्रैफिक जाम कर रहा परेशान : मनाली में एंटर करने से पहले और मनाली के बाद जब टूरिस्ट रोहतांग टनल की तरफ जाता है तो उस दौरान ट्रैफिक जाम परेशान कर रहा है। ऐसे में अटल टनल, रोहतांग पास और बारालाचा दर्रा जाने वाले टूरिस्ट को 2 घंटे पहले निकलकर अपनी यात्रा प्लान करनी होगी। इन सभी लोकेशन पर दोपहर एक-दो बजे के बाद जाम लगना शुरू होता है। ऐसे में सुबह के समय इन जगह की यात्रा करना उचित रहेगा।

4. रोहतांग दर्रा : गर्मियों में रोहतांग दर्रा टूरिस्ट का सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल रहता है। जो टूरिस्ट बर्फ देखना चाहते हैं, वह रोहतांग दर्रा जाना नहीं भूलते। क्योंकि, यहां बर्फ के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ हैं। रोहतांग दर्रा जाने के लिए टूरिस्ट को पहले मनाली पहुंचना होगा। यहां टूरिस्ट नहीं रुकते। वे मनाली में ही स्टे करते हैं और अपने वाहनों से घूमकर लौट जाते हैं।

  • रोहतांग दर्रा कैसे पहुंचें : मनाली से रोहतांग दर्रा की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है। यहां पहुंचने में दो से ढाई घंटे का वक्त लग जाता है।
  • मनाली-सोलंग के बीच जाम की समस्या : रोहतांग दर्रा पर इन दिनों बड़ी संख्या में टूरिस्ट जा रहा है। खासकर वीकेंड पर यहां पर्यटकों की संख्या लगभग दोगुना हो जाती है। इससे मनाली और फिर रोहतांग दर्रा के रास्ते में बीच बीच में ट्रैफिक जाम लग जाता है। यहां जाम मनाली-सोलंग के बीच ज्यादा परेशान कर रहा है। अर्ली मॉर्निंग यात्रा कर ट्रैफिक जाम से बचा जा सकता है।

5. कुफरी : कुफरी शिमला से लगभग 15 किलोमीटर दूर है। शिमला आने वाला टूरिस्ट कुफरी जाना नहीं भूलता। कुफरी के आसपास महासू पीक, ग्रीन वेली, देशू, आदि पर्यटन स्थलों पर जाकर टूरिस्ट मस्ती करता है। महासू पीक से टूरिस्ट दूरबीन से सामने हिमालय रेंज, चूड़धार आदि देख सकते हैं। यहां चुनिंदा होटल हैं, लेकिन पीक सीजन को देखते हुए इनमें 75 से 85 फीसदी तक ऑक्यूपेंसी है।

  • कैसे पहुंचें : कुफरी भी एनएच-5 कालका-शिमला-किन्नौर होते हुए पहुंचा जा सकता है। चंडीगढ़ से कुफरी पहुंचने में करीब चार घंटे लगते हैं।
  • ट्रैफिक जाम की स्थिति : कुफरी पहुंचने से पहले टूरिस्ट को शिमला में ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ सकता है। शिमला के ट्रैफिक जाम से बचने के लिए टूरिस्ट शोघी-आनंदपुर साहिब, भट्टा कुफर-ढली सड़क का इस्तेमाल कर सकते हैं। यानी शिमला से लगभग 12 किलोमीटर पहले ही शोघी-आनंदपुर सड़क कट जाती है। इस सड़क से 10 से 12 किलोमीटर अतिरिक्त सफर जरूर है, लेकिन यहां से ट्रैफिक जाम परेशान नहीं करेगा।

6. अटल टनल रोहतांग : रोहतांग में अटल टनल बनने के बाद यह फेमस पर्यटन स्थल बना है। देशभर से आने वाला टूरिस्ट अटल टनल रोहतांग जाना चाहता है। यहां अटल टनल के नॉर्थ और साउथ पोर्टल पर टूरिस्ट मस्ती करते हैं। इन दिनों यहां मौसम सुहावना बना हुआ है।

  • रोहतांग टनल कैसे पहुंचें : रोहतांग टनल जाने वाले टूरिस्ट को पहले मनाली पहुंचना पड़ता है। मनाली-लेह होते हुए रोहतांग टनल पहुंचा जा सकता है। चंडीगढ़ से अटल टनल की दूरी लगभग 288 किलोमीटर है। इस सफर में लगभग 7 घंटे लग जाते हैं।
  • रोहतांग के लिए सुबह जल्दी यात्रा पर निकले : रोहतांग टनल पहुंचने वाले टूरिस्ट को मनाली-लेह मार्ग पर सोलंग नाला और इससे अगले क्षेत्र में ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ सकता है। जाम से बचने के लिए सुबह के समय अपनी यात्रा प्लान करनी चाहिए।

7. नारकंडा: शिमला से लगभग 62 किलोमीटर दूर नारकंडा है। यह कस्बा देवदार के जंगलों के बीच बसा है। जो टूरिस्ट प्रकृति की खूबसूरती का आनंद उठाना चाहते हैं, उन्हें नारकंडा जाना चाहिए। नारकंडा में रात्रि ठहराव के लिए होटल और अब होम स्टे भी बन चुके हैं। यहां 1000 रुपए से लेकर 8000 रुपए में कमरे किराए पर मिल जाते हैं। यहां 70 से 75 तक ऑक्यूपेंसी है।

  • कैसे पहुंचें : नारकंडा भी कालका-शिमला-किन्नौर को जोड़ने वाले एनएच से पहुंचा जा सकता है। चंडीगढ़ से नारकंडा पहुंचने में करीब साढ़े पांच घंटे का वक्त लगता है।
  • ट्रैफिक जाम से कैसे बचे : नारकंडा जाने वाले टूरिस्ट को शिमला में ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ सकता है। शिमला के जाम से बचने के लए टूरिस्ट शोघी-आनंदपुर साहिब, भट्टा कुफर-ढली सड़क का इस्तेमाल कर सकते हैं।

8.कसौल : कुल्लू जिले का कसौल भी मशहूर पर्यटन स्थलों में से एक है। कसौल इजराइली टूरिस्टों के कारण दुनिया के पर्यटन मानचित्र में जगह बना चुका है। जो टूरिस्ट प्रकृति का आनंद उठाना चाहता है, वह कसौल जाना नहीं भूलता।

  • कैसे पहुंचें : कसौल पहुंचने के लिए पहले मणिकर्ण पहुंचना होता है। अन्य राज्यों से आने वाले टूरिस्ट चंडीगढ़-मनाली फोरलेन से पहले भुंतर तक आ सकते हैं। यहां से मणिकर्ण होते हुए कसौल पहुंच सकते हैं।
  • मणिकर्ण में मिलता है ट्रैफिक जाम : कसौल जाते वक्त मणिकर्ण में ट्रैफिक जाम लगता है। यहां पर भी वीकेंड पर दोपहर बाद जाम लगता है। आम दिनों में जाम की समस्या कम ही रहती है।

9. डलहौजी : डलहौजी चंबा जिले का सबसे मशहूर पर्यटन स्थल है। यहां पंजाब का सबसे ज्यादा टूरिस्ट पहुंचता है और प्रकृति की खूबसूरती का आनंद उठाता है। डलहौजी के होटलों में 65 से 70 फीसदी तक ऑक्यूपेंसी है।

  • कैसे पहुंचें : पठानकोट-भरमौर नेशनल हाईवे होते हुए टूरिस्ट डलहौजी पहुंच सकता है। यदि कोई टूरिस्ट मनाली-शिमला इत्यादि जगह पर पहले से मौजूद है तो वह नूरपूर-लाहड़ू-ककीरा-डलहौजी सड़क से जा सकता है। पठानकोट से डलहौजी की दूरी लगभग 80 किलोमीटर है। इस सफर में ढाई से तीन घंटे का वक्त लग जाता है।
  • डलहौजी में जाम की समस्या कम : आमतौर पर डलहौजी में ट्रैफिक जाम नहीं लगता। मगर, जब टूरिस्ट व्हीकल ज्यादा हो जाएं और वे सड़क किनारे गाड़ियां खड़ी कर दें तो उस दौरान जाम परेशान करता है।

10. जीभी : समर सीजन में कुल्लू जिले का जीभी फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। जीभी आने वाले टूरिस्ट पहलगाम की तरह दिखने वाले शांघड़ जाना नहीं भूलते। इसी तरह तीर्थन वेली, जलोड़ी जोत और घ्यागी में प्रकृति की सुंदरता का आनंद उठाते है।

  • कैसे पहुंचें : जीभी पहुंचने के लिए टूरिस्ट को चंडीगढ़-मनाली फोरलेन पर आना होगा। मंडी के ओट से जीभी के लिए लिंक रोड जाता है। ओट से जीभी की दूरी लगभग लगभग 35 किलोमीटर है। इस सफर में डेढ़ घंटा लग जाता है।
  • जीभी में कभी-कभी लगता है जाम : जीभी में सड़क सिंगल लेन है। इस वजह से कभी कभी हल्का जाम लगता है। मगर, यहां वाहनों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं होती।
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